Life's Extras and Ordinary
सोमवार, 11 अक्टूबर 2010
प्रेम
शब्दों को
उलट-पुलट
आगे-पीछे कर
कभी
इधर जमा
कभी
उधर सजा
काटा.......छांटा.......बढाया
खुद को डुबो दिया
और
कुछ न किया......कुछ न किया
बस यूँ ही
प्रेम किया!!
प्रेम किया!!!
प्रेम किया!!!!!
1 टिप्पणी:
प्रशान्त
ने कहा…
काश कि तुम्हें ये दुनिया करने दे ---- हमेशा, इतना ही या इस्से भी ज्यादा.
11 अक्टूबर 2010 को 10:47 pm बजे
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1 टिप्पणी:
काश कि तुम्हें ये दुनिया करने दे ---- हमेशा, इतना ही या इस्से भी ज्यादा.
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