बुधवार, 6 अक्तूबर 2010

बहुत हुई खुद से बातें.....
अब चलें
उस दुनिया में....
जहाँ
कोई दूसरी दुनिया रहती है........
जीती है........
बसती  है............
धड़कती है............

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