Life's Extras and Ordinary
मंगलवार, 12 अक्टूबर 2010
प्यार
हर बार प्रण किया
कसमें खायी
दुपट्टे में गांठें बाँधी
पर
हर बार
प्रण तोड़ा
कसमें तोड़ी
दुपट्टों की गांठें खोली
और
डूब के मैंने प्यार किया...........
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें