गुरुवार, 21 अक्तूबर 2010

प्रेम

दस्तक दे पुकारता....
अकेले होने पर
साथ बैठा गपियाता.....

सिरहाने में सपने बन गुदगुदा्ता.....
खुली आंखों में
रोशनी बन दुनिया दिखाता................
बोलो कौन????????????

3 टिप्‍पणियां:

सुशीला पुरी ने कहा…

वाह !!!!!!

Dr. Amarjeet Kaunke ने कहा…

schmuch.....

mayamrig ने कहा…

बहुत खूब। यह प्रेम ही तो है जो हमेशा सिरहाने खड़ा रहता है, हमारी हर सांस पर पहरा देते हुए...जैसे सांसों की आवाज भी चुरा सकता है जमाना। बस जैसे कि हमसे गपियाता है किसी पुराने दोस्‍त सा...अच्‍छे शब्‍दों का चयन..;बेहतर प्रस्‍तुति। बधाई।