बुधवार, 20 अक्तूबर 2010

सपने

 
ऊँचे पहाड़ की चोटियों में
चिनार के सबसे ऊँचे पेड़ के शीर्ष पर
सबसे गहरे समुद्र की तलहटी में
दुनिया की सबसे लम्बी सड़क के
आखिरी मोड़ पर
अनगिनत लोगों की ख़ुशी की भीड़ में
किसी रोती हुई लड़की के
दुःख की खोह में
और
किसी निराश ह़ो चुके लड़के की
विरह-वेदना के चरम पे
मैं
अपने सपनों को,
तमाम जीवित लोगों के सपनों को
घर बनाकर देना चाहती हूँ
क्योंकि
इन जगहों की खुशबू से
'वो'
जो इन्हे तोडता  है
महरूम  है
और
हम....
हम सिर्फ
इसी खुशबू से आबाद हैं!!

1 टिप्पणी:

प्रशान्त ने कहा…

पराये सुख,दुःख और सपनों को अपनाना,उन्हें मकान देना - और मुकाम भी - आप इन खुशबूओं से आबाद रहें - हमेशा-हमेशा.