ऊँचे पहाड़ की चोटियों में
चिनार के सबसे ऊँचे पेड़ के शीर्ष पर
सबसे गहरे समुद्र की तलहटी में
दुनिया की सबसे लम्बी सड़क के
आखिरी मोड़ पर
अनगिनत लोगों की ख़ुशी की भीड़ में
किसी रोती हुई लड़की के
दुःख की खोह में
और
किसी निराश ह़ो चुके लड़के की
विरह-वेदना के चरम पे
मैं
अपने सपनों को,
तमाम जीवित लोगों के सपनों को
घर बनाकर देना चाहती हूँ
क्योंकि
इन जगहों की खुशबू से
'वो'
जो इन्हे तोडता है
महरूम है
और
हम....
हम सिर्फ
इसी खुशबू से आबाद हैं!!
1 टिप्पणी:
पराये सुख,दुःख और सपनों को अपनाना,उन्हें मकान देना - और मुकाम भी - आप इन खुशबूओं से आबाद रहें - हमेशा-हमेशा.
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