मंगलवार, 12 अक्तूबर 2010

प्रेम

उसने कहा
गीता पढ़
कुरान पढ़
बाइबिल  पढ़
रामायण पढ़
सब कुछ पढ़ा
सब कुछ गुना
रेशा मिला
बस
ढाई आखर प्रेम का........

3 टिप्‍पणियां:

amarjeet kaunke ने कहा…

arpita ....aap ki teenon kvitaen prem ke bahut schchi aur sundar abhivyakt hain...bahut vadhaai..keep it up....amarjeet

www.amarjeetkaunke.blogspot.com

Arpita ने कहा…

धन्यवाद अमरजीत जी, आप जैसे सुधि पाठ्क के उत्साहवर्धन से मेरे लिखने में सुधार और निखार आयेगा, ऐसा मेरा विश्वास है........

!!अक्षय-मन!! ने कहा…

sarthak aur sundar likha hai..