बुधवार, 20 अक्तूबर 2010

प्रेम का खेल

बात और बात ......
फ़ुसफ़ुसाहटें....
हंसी...ठ्हाके.....
शोर-ओ-गुल......
कोलाहल............
चुप्पी..................
और
चुप्पी के बाद
वापसी...
है न मज़ेदार खेल????

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