हवा में बिखरी....
खुश्बू में महकी...
बहती...
बिखरती... ...मचलती...
साँसों के रास्ते
लहू में घुलती...
नस-नस को समेटे
तन-मन को अपने काफ़िले में सजाती
हौले से...बहुत हौले से...
दस्तक दे
चौंकाती...
चुभलाती...
और
सहला जाती मनचले मन को...... .............................................तुम्हारी याद!!!!!
1 टिप्पणी:
ek yad aati hai,
dusri yad se milwati hai,
dono yad kuch bat karti hai,
phir hame paresan karti hai,
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