Life's Extras and Ordinary
सोमवार, 8 नवंबर 2010
प्यार
सूखी नदियों में बाढ़ आती है?
पत्तियों बगैर पेड़ कहीं झूमते हैं?
हवा बगैर खुश्बू महकती है?
सूरज बगैर चाँद होता है?
याद बगैर हिचकियाँ आती हैं?
सच!
कुछ भी ऐसा नहीं होता.....
फिर
प्यार बगैर
जीवन कैसे हो सकता है.........
1 टिप्पणी:
प्रदीप कांत
ने कहा…
प्यार बगैर
जीवन कैसे हो सकता है.........
12 नवंबर 2010 को 7:44 pm बजे
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प्यार बगैर
जीवन कैसे हो सकता है.........
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