सोमवार, 17 जनवरी 2011

स्मृति.....

प्रवाल-सी अनूठी
शैवालों-सी रंग-बिरंगी
मीन-सी व्याप्त
मन के समंदर में........
 
तैरती....विचरती....
रहस्यों में ख़ुद को खोजती...
 
कुछ चुनती
कुछ बीनती
कुछ बिखेरती..
सहसा
विचलित-सी/बियाबां में भटकती
हांफती-दौड़ती
छू जाती सघन तारामंडल
प्रकाशित जो
स्मृति के उजास से......

गुरुवार, 6 जनवरी 2011

तुम


आँखें बंद
अंधेरे में तुम....
आँखें खुली
उजाले में तुम....
 
मुट्ठी बंद
तासीर में तुम...
मुट्ठी खुली
हवा में तुम....
 
क़दम रूके
ज़र्रे-ज़र्रे में तुम...
क़दम बढ़े
कारवां में तुम...
 
मौन पसरे
सन्नाटे में तुम....
शब्द बिखरे
हर्फ़-हर्फ़ में तुम....
 
स्वर-लहरियाँ बही
तान में तुम....
स्वप्न बुनें
ताने-बाने तुम.....
 
निढ़ाल....निःशक्त..... निःशब्द.....
ज़ार-ज़ार रूदन में तुम....
 
खुशी के बादल तुम....
मुस्कुराहट....हंसी की बारिश तुम.....
 
मन नैया के केवटिया तुम..............